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रहस्यमाई चश्मा भाग - 37




गांव में शुभा बालिका माध्यमिक विद्यालय का भूमिपूजन श्यामाचरण झा ने स्वंय किया गांव ही नही बल्कि जवार के दस बीस गांव की जनता की उपस्थिति में मंगलम चौधरी ने विद्यालय का नक्सा बहुत ख़ूबहसुरत बनवा कर भेजा था!

 विदयालय निर्माण का कार्य बहुत तेजी से शुरू हुआ गांव वाले समूह बनाकर निर्माण कार्य मे श्रमदान करते हाथ बटाते कॉलेज का निर्माण कार्य प्रगति पर था औऱ डेढ़ वर्ष के निर्धारित समय तीन चार माह बीत चुके तब मंगलम चौधरी ने श्यामाचरण झा एव गांव मंदिर के पुजारी तीरथ राज जी को बुलाने के लिए अपनी कार मेहुल कुमार को लाने हेतु भेजी मेहुल कुमार गांव पहुंचते ही श्याचरणम झा जी एव पुजारी तीरथ राज जी को चौधरी साहब का विनम्र निवेदन पहुंचाया मंगलम चौधरी का निवेदन सुनते ही श्यामचरण झा जी एव पुजारी तीरथ राज जी मेहुल कुमार के साथ चल पड़े मेहुल कुमार जब श्यामाचरण झा जी एव पुजारी तीरथ राज को देखते ही जोरदार स्वागत करने के बाद मंदिर पुनर्निर्माण की ड्राइंग दोनों के सामने रख दिया और बोले झा साहब अब मंदिर के पुननिर्माण में भी बिलम्ब नही होना चाहिये मेरा मानना है कि आप और पुजारी जी मंदिर में नई मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा करे एव उसी दिन विद्यालय के निर्माण की पूर्णता एव विद्यालय में विद्यार्थियों का प्रवेश शुरू हो लेकिन एक बात बहुत आड़े आएगी!

जो आप लोंगो को लोग लड़कियों को पढ़ाने के लिए बहुत उत्सुक नही रहते अतः लड़कियों को जवार के लोग विद्यालय भेजे इसके प्रभवी जागरूकता अभियान चलना पड़ेगा जिससे कि लोंगो में लड़कों की तरह लड़कियों की भी शिक्षा के प्रति संवेदना जगे जागृति बढ़े श्यामाचरण जी बोले चौधरी साहब आप विलकुल निश्चित रहे ऐसा ही होगा आपके संकल्पों को सिद्धि तक पहुँचाना हम सबका उत्तरदायित्व एव नैतिक कर्तव्य है।

और पुजारी तीरथ राज एव श्यामाचरण झा जी मंगलम चौधरी से विधा लेकर गांव के लिए चलने को तैयार हुए चौधरी साहब ने मेहुल कुमार को आदेश दिया कि पुनः पुजारी जी एव श्यामाचरण जी को गांव तक छोड़कर लौट आये मेहुल कुमार ने तुरंत कार स्टार्ट कर चल दिया पुजारी तीरथ राज ने श्यामाचरण जी से प्रश्न किया श्यामाचरण जी आखिर मंगलम चौधरी साहब को दरभंगा से इतनी दूर हम लोंगो के गांव में क्या दिखा या एक दिन के प्रवास में मंगलम चौधरी जी को ऐसा क्या मिल गया कि वह हमारे गांव पर इतना मेहरबान है!

 और बिना किसी स्वार्थ के अपने खजाने को गांव के लिए खोल दिया है श्यामाचरण झा जी पुजारी तीरथ राज जी से बोले सम्भवत हमारे गांव का आतिथ्य चौधरी साहब को भा गया हो या हो सकता है कि चौधरी साहब का कोई भावनात्मक लगाव हो!

हमारे गांव से क्योकि हमे भी इस बात की सत्यता पता नही हम तो सिर्फ चौधरी साहब कि कृपा से गांव के उन्नति में ही गांव का भविष्य देख रहा हूँ मेरा मानना है कि चौधरी साहब दरभंगा से इतनी दूर एक गांव के विकास में रुचि रखते है तो उसमें बहुत नुख्ता चीनी करने की आवश्यकता नही है सिर्फ आवश्यकता है तो चौधरी साहब कि गांव पर बरसाती कृपा को मूर्त रूप प्रदान करना मेहुल कुमार पुजारी तीरथ राज एव श्यामाचरण झा जी कि बातों को बड़ी गम्भीरता एव ध्यान लगाकर सुन रहा था बीच बीच मे श्यामाचरण जी एव पुजारी तीरथ राज जी उससे प्रश्न करते मेहुल जी मंगलम चौधरी साहब वास्तव में मिथिलांचल के अभिमान है!

मेहुल ने बताया कि हमारे मॉलिक आज के जमाने मे देवता समान है हम लोंगो ने बचपन मे पढा था ईश्वर इंसान में बसता है जो मंगलम चौधरी साहब ने अपने व्यवहार उदारता से उंसे सत्य प्रमाणित किया है मेहुल ने कहा हमे नही लगता कि चौधरी साहब का आप लोंगो के गांव में कन्या माध्यमिक विद्यालय खोलने एव गांव के मंदिर के पुनर्निर्माण में कोई उनका निजी स्वार्थ है मेहुल दो चार बार श्यामचरण जी के गांव जा चुका था लेकिन वह विल्कुल शांत होकर सिर्फ अपने चालन ड्राईविंग पर ध्यान देता लेकिन पहली बार पुजारी तीरथ राज एव श्यामाचरण जी जी जिज्ञासा का उत्तर दे रहा था!!

 पुजारी तीरथ राज एव श्यामाचरण जी गांव पहुचे और कुछ देर विश्राम करने के बाद मेहुल कुमार वापस लौट गया तीरथ राज एव श्यामाचरण जी ने गांव पंचों को बुलाकर चौधरी साहब के गांव के मंदिर पुनर्निर्माण के संकल्प पर कार्य शुभारम्भ की विधिवत घोषणा की श्यामचरण जी ने महाशिवरात्रि को मंदिर के पुनर्निर्माण के कार्य के शुभारम्भ कि तिथि निर्धारित किया ।खास बात यह थी कि जबसे मंगलम चौधरी गांव से लौट कर गए थे तभी से पूरे गांव में सकारत्मक सार्थक बदलाव गांव के युवाओं के विचारों में एव सभी वर्गों में बहुत स्प्ष्ट परिलक्षित हो रहा था ।

जिस गांव में नत्थू के भय से कोई भी व्यक्ति परिवार कुछ भी कहने करने से भयाक्रांत रहता था मंदिर पुनर्निर्माण एव कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के निर्माण में निडर निर्भीक होकर श्रमदान सहयोग कर रहा था जिसका परिणाम यह हुआ कि गावं में नत्थू का व्याप्त भय धीरे धीरे समाप्त हो रहा था और पूरे गांव में एक मत सम्मत का समाज मंगलम चौधरी के संकल्पों के साथ एव श्यामचरण जी के पराक्रम के साथ उठ खड़ा होने लगा और पूरे गांव के साथ साथ आस पास के गांवों में भी सकारात्मक वातावरण बनने लगा नत्थू एव उसके समूह के लोंगो के सामने खड़े होने कि बात तो दूर आस पास आठ दस कोस में कोई परिवार व्यक्ति अपने परिवार में भी चर्चा तक नही कर सकता था!


अब वातावरण बदलाव की तरफ धीरे धीरे बढ़ रहा था जो वर्षो से चले आ रहे नत्थू के आतंक एव साम्राज्य के लिए अशुभ संकेत दे रहा था सारे गांव वाले स्वंय को समूहों में बांट कर विद्यालय निर्माण एव मंदिर जीर्णोद्धार में अपनी अपनी क्षमता सामर्थ से सहयोग करते गांव में सकारात्मक सोच समझ कि बयार बह चली नत्थू के साम्राज्य की नींव हिलने लगी वह गांव में बन रहे विद्यालय एव मंदिर पुनर्निर्माण में तरह तरह के अवरोध उतपन्न प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष कोशिश करता कभी उसने हिन्दू मुश्लिम को लड़ाने की पूरी कोशिश किया कभी दलित समाज को भड़काने कि कोशिश की जव नत्थू कि अप्रत्यक्ष हरकते विद्यालय एव मंदिर निर्माण में व्यवधान पहचाने लगी!

 श्यामाचरण जी ने गांव के पंचों को पुनः एकत्र किया मंदिर के पुजारी तीरथ राज जी को बुलाया और सबसे उच्च सम्मान के साथ गांव के दलित समाज को आमंत्रित किया श्यामाचरण झा जी बहुत विद्वान एव सूझ बूझ के व्यक्तित्व थे उन्हें अच्छी तरह पता था कि नत्थू के कारनामो से गांव के विकास के वर्तमान एव स्वर्णिम भविष्य पर प्रभाव ही नही पड़ेगा बल्कि गांव का वातावरण और भी दूषित और विषाक्त हो जाएगा!





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2 Comments

kashish

09-Sep-2023 08:11 AM

लाजवाब

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Abhilasha Deshpande

13-Aug-2023 09:36 AM

Nice part

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